' ये तुम हो '
किसने छीनी है नींद मेरी , नैनो में संवर गए तारे
ए चाँद ज़रा कह दो उनसे ये रात भी हम उन पर वारें
वो कौन है जिनकी याद में हम शरमाकर नैन झुकाते हैं
मेरे काजल उनसे कह दो इनमे तुझ संग वो समाते हैं
वो किसने छुआ है अधरों से बिजली सी काँप गयी तन में
ओ मेघा जा कह दो उनसे ,रस बरस रहा है तन मन में
किसने बांधा है बाँहों में, कि महक उठी मैं रातों में
फूलों उनसे जाकर कह दो रजनीगंधा है साँसों में
वो किसकी अगन है जिसमें कि तप कर भी जाती हूँ मैं खिल वो सूरज तो है दूर बहुत ,रवि धड़क रहे हैं बन कर दिल
.................नीना शैल भटनागर
वो किसने छुआ है अधरों से बिजली सी काँप गयी तन में
ReplyDeleteओ मेघा जा कह दो उनसे ,रस बरस रहा है तन मन में .....
वाह लाजबाब लेखिनी है आपकी ..ऐसे ही लिखती रहे ....बहुत बढ़िया :)
बहुत बहुत शुक्रिया ...रूपम ....इसी तरह यहाँ आती रहना ....और प्रतिक्रिया व्यक्त करती रहना ...:)
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ती..! श्रंगार रस की सरस और अनुपम शैली अभिव्यक्ती !
ReplyDeleteधन्यवाद आपकी सराहना के लिए अनुराग जी .... आपको बार बार यहाँ देखना चाहूंगी ....:)
Deleteबहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ती..! श्रंगार रस की सरस और अनुपम शैली अभिव्यक्ती !
ReplyDeleteur poems hv the shyness of teens & romanticism of tys... which is a lovely combo... :) keep writing didi... my best wishes ..always !
ReplyDeleteThanks a lot Anju, your words of appreciation are valuable for me....ya it has that flavour 'cause the time this was created, I was in my twenties ;)...but loved your comment and hope to see your presence more often ....:)
Deleteश्रृंगार रस की बहुत सुन्दर रचना :)
ReplyDeleteविनीता , बहुत धन्यवाद ...बस ऐसे ही यहाँ आती जाती रहना और सुझाव का भी स्वागत है ...:)
Deleteबहुत सुन्दर कोमल भावनाओं की सुन्दर श्रंगारिक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहार्दिक आभार मंजू जी , आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है ...इसी प्रकार मेरी रचनाओं को अपना समय देते रहिएगा ....:)
Deleteबहुत अच्छी है
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