गणपति वंदना
हे एकदंत, हे गजानन ,हे गणपति महाराज !
शिव गौरी के पुत्र सदा नमन तुम्हे गजराज
तिथि चतुर्थ भादों शुक्ल, अभिन्दन भगवंत
हर लो सारे पाप प्रभु ,बन जावे सब काज
तारो हमको भवसागर से, काटो सारे क्लेश
बंदनवार सजाकर अर्पित करूँ पुष्प औ मोदक
तेरे चरणों में अरिहंता ,सफल हो जीवन शेष
................नीना शैल भटनागर
जय श्री गणेश .....सुंदर वंदना .....
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