‘बेवफाई’
उसकी तल्खी का ये अंदाज़ –ए – बयां
साथ
अपना तो बस सफ़र तक है
मैं सजाती रही ये सोच के दीवारोदर
उनकी मंज़िल तो मेरे घर तक है
छुड़ा गए
हो जो दामन हमसे
भिगोई
अश्कों से चादर तुम्हे खबर तक है
मेरी
रुसवाइयों के किस्सों से
जला है
दिल , लपट जिगर तक है
कैसा
टूटा है ऐतबार मेरा
दिल के
टुकड़े किधर किधर तक हैं
दे दी
इन नरगिसी आँखों को सज़ा
फ़ना हुआ
है इश्क़, अश्क़ समन्दर तक है !
..............नीना शैल भटनागर
..............नीना शैल भटनागर
.वाह वाह !... बहुत खूब
ReplyDeleteदिली शुक्रिया ...बस यूँ ही अपना समय देते रहे ....इस प्रोत्साहन की बहुत आवश्यकता है मुझे ...:)
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