अब और कुछ न कहो
मुझसे
कहीं मन का मयूर
फडफडा न उठे
देखो , छूना भी नहीं
तुम मुझको
कहीं तन के तार
झनझना न उठें
अगर ऐसा हुआ तो
रोक नहीं पाऊँगी मैं .....
चूड़ियों की खन खन
पायल की छम छम
लबों की थरथराहट
साँसों की गरमाहट
देखो यूँ न खींचो आँचल मेरा
दिल मेरा सौ बार मचल
जायेगा
रोको अपनी उठती
नज़रों को
तूफ़ान बंधा है सीने
में , फ़िसल जाएगा
अगर ऐसा हुआ तो
रोक नहीं सकोगे तुम......
संग मेरे बह जाओगे
पास बहुत आ जाओगे
सराबोर कर प्रेम लहर में
दूर तो न हो जाओगे ?
...........नीना शैल भटनागर
सुंदर गीत मन मे उत्पन्न भावों से सहज रूप मे रचना बन पड़ी है ,,, बहुत ही सौम्य पढ़ने मे निसंदेह शीतलता का एहसास होता सा ,,, बधाई आपको अच्छी रचना के लिए
ReplyDeleteDhanyvaad
Deleteधन्यवाद गुनेश्वर जी , आपकी मुक्त कंठ से प्रशंसा से मेरा मनोबल वर्धन हुआ है ...आपकी इसी प्रकार की उपस्थिति की भविष्य में भी प्रतीक्षा रहेगी ....:)
ReplyDeleteखूबसूरत रचना के लिए बधाई नीना जी ---मंजुल
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद , मंजुल जी आपकी सराहना का ...:)
Deletesundar rachna
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना नीना जी ,बधाई और भी आप द्वारा रचित रचनाएँ पढने को मिलेंगी की कामना करती हूँ
ReplyDeleteधन्यवाद मंजू जी , प्रयत्न करूंगी कि और भी रचनायें यहाँ पोस्ट करूँ , बहुत बहुत धन्यवाद आपकी उपस्थिति का .....:)
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