Text selection Lock by Hindi Blog Tips

Sunday, June 4, 2017

' प्रेम'



ये खुशबू है तेरी जो मुझमे है अब तक
कहूं कैसे अब तो मैं खुद की नहीं हूँ

कभी गुम  हूँ मैं तो कभी खुद पे हंसती
ये तेरा नशा है दीवानी हुई हूँ

यकायक उठा था जो तूफ़ान उस पल
बहती रही उसमे , अब मैं नयी हूँ

हौले से कन्धों को तूने छुआ जब
तेरे सीने पे रेत सी मैं ढही  हूँ

अधरों की तेरी वो नाज़ुक छुवन थी
ऐसी तपिश , अब तक पिघल रही हूँ

ये कैसी है मस्ती जो तूने मुझे दी
कि तुझमे समां के दीवानी हुई हूँ

बाहों के बंधन जो कसते गए थे
खोलो नहीं उनको , मैं जी रही हूँ

  
              ..............
नीना शैल भटनागर    

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-06-2017) को
    रविकर शिक्षा में नकल, देगा मिटा वजूद-चर्चामंच 2541
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हार्दिक आभार रूपचंद्र शास्त्री जी

      Delete
  2. धन्यवाद सु-मन जी , आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का ...

    ReplyDelete