Text selection Lock by Hindi Blog Tips

Tuesday, June 6, 2017

इश्क़

            'इश्क़'

क्यूँ तुझे देखता हूँ मैं हर सिम्त

एक आदत सी हो गयी है तू

गल्बा - इश्क जो चढ़ा मुझ पर
बस इबादत सी हो गयी है तू

बन के तू इश्क, रगों में बह कर
किस कदर मुझमें खो गयी है तू

शहरे-अय्यार के इन कूचों में
बावफ़ा  मेरी हो गयी है तू

रही ना ज़ीस्त बर्गे आवारा
कर इसे सब्ज़, जो गयी है तू
     .....
नीना शैल भटनागर


Sunday, June 4, 2017

' प्रेम'



ये खुशबू है तेरी जो मुझमे है अब तक
कहूं कैसे अब तो मैं खुद की नहीं हूँ

कभी गुम  हूँ मैं तो कभी खुद पे हंसती
ये तेरा नशा है दीवानी हुई हूँ

यकायक उठा था जो तूफ़ान उस पल
बहती रही उसमे , अब मैं नयी हूँ

हौले से कन्धों को तूने छुआ जब
तेरे सीने पे रेत सी मैं ढही  हूँ

अधरों की तेरी वो नाज़ुक छुवन थी
ऐसी तपिश , अब तक पिघल रही हूँ

ये कैसी है मस्ती जो तूने मुझे दी
कि तुझमे समां के दीवानी हुई हूँ

बाहों के बंधन जो कसते गए थे
खोलो नहीं उनको , मैं जी रही हूँ

  
              ..............
नीना शैल भटनागर